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एक कहानी: बुरी आदतों को अच्छा बनाने की

अपनी बुरी आदतों को न छोड़ने की कहानी | Story on Leaving Bad Habits | Apni Buri Aadat Ko Na Chodne Ki Hindi Kahani .

मस्कार दोस्तों,
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दोस्तों, यह हमारी Overall 10th post है और आज से हम SKN पे एक नया Coulmn add कर रहें हैं, जो है- “कहानियाँ” . उम्मीद है आपको यह भाग अच्छा लगेगा।


★ आज की कहानी: “छोड़िये पेड़ को”| A Hindi Story on Improving Bad Habs.

तो ये कहानी है एक ऐसे आदमीं की,जिसे जुवा खेलने की बहुत ही गन्दी आदत थी। उसके शुभचिंतक उसे यह समझाते-समझाने तक गए कि इस आदत को छोड़ दे। लेकिन वो हर किसी का मुंह एक टके-से जवाब के साथ बन्द कर देता कि- “मैंने ये आदत नहीं पकड़ी है, बल्कि इसने मुझे पकड़ रखा है! अब लोग बेचारे आगे कह भी क्या सकते ।
 
घरवाले उसकी हरकतों से बहुत परेशान थे। उन्होंने सोचा कि शादी करा देने से इसके सिर पे ज़िम्मेदारियों का बोझ पड़ेगा, जिससे शायद ये  रास्ते पे आ जाये। सो इस उम्मीद में बेचारे को घोड़ी चढ़ा दिया गया!,
शादी के बाद कुछ दिन तक तो सब ठीक चला लेकिन तभी… वो फिर से जुवा खेलने जाने लगा। अब, घरवालों के साथ -ही-साथ पत्नी भी परेशान! 
 
फिर एक दिन पत्नी, पति की आदतों से तंग होकर उसे एक संत के पास ले गई। पत्नी ने सारी बातें सच-सच साधु महाराज को बता दीं। महाराज जी ने कुछ देर विचार करने के बाद अगले दिन आने को बोल दिया।
 
अगले दिन पति-पत्नी आश्रम पहुंचकर देखते है, कि साधु महाराज एक पेड़ को पकड़कर खड़े हैं। उन्होंने सन्त से पूछा- “महाराज आप ये क्या कर रहे हैं;  इस तरह से इसे क्यों पकड़े हैं?” सन्त ने कहा- “आप लोग कल आइयेगा!” इस तरह वो दोनों वापिस घर लौट गये।
 
अगले दिन फिर जब वापस आश्रम में लौटे तो भी दृश्य पहले वाला ही था। साधु महाराज वैसे ही पेड़ से लिपटकर खड़े थे, जैसे कल थे। उन्होंने पूछा- “महाराज आप ये क्या कर रहें हैं?” सन्त ने उत्तर दिया – “यह पेड़ मुझे छोड़ नहीं रहा है, आप कल आइयेगा!” पति-पत्नी को साधु महाराज का व्यवहार थोड़ा अजीब लगा। 
 
वे अगले दिन फिर आये। दिन जरूर बदला था, लेकिन साधु महाराज का व्यवहार नहीं! वै फिर उस पेड़ को पकड़कर खड़े थे। पति हैरान-परेशान होकर बोला- ”बाबा , आप इस पेड़ को छोड़ क्यों नहीं देते?” साधु ने फिर वही सीधा और अजीब जवाब दिया- “मैने कहां इस पेड़ को पकड़ा है; बल्कि इस पेड़ ने मुझे पकड़ रखा है।”
 
पति हंसते हुए बोला, “महाराज आप इस पेड़ को पकड़े हैं, ये पेड़ आप को नहीं। आप जब चाहे तब थोड़ी-सी मेहनत करके खुद को अलग कर सकते हैं!” अब सन्त महाराज ‘गम्भीरता से मुस्कुराते’ हुए बोले – “इतने दिनों से मैं तुम्हें यही तो समझने की कोशिश कर रहा हूँ कि तुम जुवा खेलने की आदत को पकड़े हो न कि ये आदत तुम्हें। तुम जब चाहो तब थोडा प्रयास करके खुद को इससे विरक्त कर सकते हो!” 
 
• यह सुनते ही वह आदमी समझ गया कि इस बुरी आदत की असली जड़ उसका मन है, जो उसे इससे अलग नहीं होने देता। तब उसने उसी समय प्रण ले लिया कि वह आज से जितना हो सके जुवाखाने से दूर रहेगा। अब वह खुद को दूसरे कामों में व्यस्त रखने लगा, जिससे उसे जुवे के सपने आना कम हो गए। कभी -कभी उसका अपने जुवारी दोस्तों के साथ बैठने का मन करता परन्तु तभी उसे अपना निश्चय याद आ जाता, हर वह अपना मन बदलकर दूसरे अच्छे कामों में रम जाता.. इस तरह उसने सिर्फ 2 महीनों में अपनी इक्छाशक्ती  पर नियंत्रण पा लिया और अपनी जुवे वाली बुरी आदत को भी छोड़ दिया! ☺️
 
● सीख (Lesson): दोस्तों यह कहानी हमें उबाती जरूर है साथ -ही इसका कोई ढंग-का climax भी नहीं है लेकिन ये हमें एक छोटी -सी शिक्षा जरूर दे जाती है, कि अपनी बुरी आदतों के लिए बुरे हालातों या दूसरे लोगों को दोष देना और बहाने बनाना बन्द कर दीजिए! सोचिये, आदतें अछी हो या बुरी .. आपकी आदतें जो भी हैं, सब आपके कारण है! और आपको ही उन्हें सुधारना है वो भी जल्द-से जल्द। 
 
💡 वैसे मैं जानता हूँ, कि आदतों को सुधारना इस कहानी के जैसा सरल नहीं होता,बहुत मेहनत करनी पड़ती है सुधरने के लिए! मेरी खुद की भी कई आदतें हैं जो में सुधारना चाहता हूँ पर सुधार नहीं पाता। जैसे- ‘सुबह जल्दी उठना’ (वैसे मैं आज जल्दी उठ गया था, ये कहानी लिखने के लिए 😊)
 

• किसी आदत को छोड़ने के लिए ये 3 चीज़े ज़रूर कीजिये (Tips to leave Bad Habits in Hindi)

 
1)• पक्का निश्चय कीजिये (Determine Hard)
2)• खुद को दूसरे कामों में व्यस्त रखें (Keep yourself Busy)
3)• ध्यान को गन्दी जगह से हटाकर सही जगह रखें। (Divert Focus)
 
• उम्मीद है ये कहानी आपमें थोड़ा-सा ही सही लेकिन बदलाव लाएगी! Keep Trying!!! 👍
 
 ThankYou readers for reading this Story.
 
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Navin Rangar

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