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बाउंस रेट क्या है? इसे कैसे कम करें? | Bounce Rate in Hindi

जब हम ब्लॉगिंग के फील्ड में नए-नए होते हैं तो कई ऐसी Terms होती हैं जो हमें काफी confuse करती हैं। ब्लॉगिंग की ऐसी ही 
एक technical term है- बाउन्स रेट (Bounce Rate)
कई बार हम जब अपने ब्लॉग का Google Analytics या फिर Alexa Rank वगैरह check करते हैं तो वहाँ पर हमें bounce rate का एक segment दिखाई देता है। कई सारे नए ब्लॉगर्स इसे देखकर confuse हो जाते हैं क्योंकि कई बार वे internet पर इसके बारे में search करने पर भी इसे अच्छी तरह नहीं समझ पाते हैं। 
 
तो आज की इस पोस्ट में हम इसी Bounce Rate को आसान भाषा में समझने वाले हैं कि आखिर किसी वेबसाइट के गूगल ऐनालिटिक्स में बाउन्स रेट होता क्या है और इसका आपकी साइट पर क्या प्रभाव पड़ता है-

1). वेबसाइट में बाउन्स रेट क्या होता है? (What is Bounce Rate):

आपकी वेबसाइट पर एक दिन में बहुत सारे लोग आते हैं। मान लीजिए कि किसी दिन आपकी website पर आने वाले लोगों की संख्या 100 है। अब ऐसा बहुत ही कम होता है कि सौ के सौ लोग आपकी वेबसाइट में कई सारी पोस्टें पढ़ें। आपकी वेबसाइट में आने वाले लोग दो तरीके से behave करते हैं-
 
  • पहली तरह के लोग सिर्फ एक पोस्ट (या page) पढ़ते हैं और जब उनका काम हो जाता है तो वे वेबसाइट से बाहर चले जाते हैं। 
 
  • दूसरी तरह के लोग वे होते हैं जो एक पोस्ट के अलावा भी आपकी वेबसाइट पर ही दूसरी पोस्टें भी पढ़ते हैं यानि आपकी वेबसाइट पर काफी देर तक घूमते रहते हैं। 
 
अब अगर मान लें कि आपकी वेबसाइट पर जो 100 लोग आए, उनमें से 60  लोग एक पेज पढ़कर चले गए जबकि बाकी बचे जो 40 लोग थे उन्होंने एक से ज्यादा पेज पढे। 
 
 
अब अगर इसका percentage निकाले तो 60% लोग सिर्फ एक पेज पढ़ते हैं और 40% लोग एक से ज्यादा। तो इसका मतलब आपकी साइट का Bounce Rate उस खास दिन के लिए 60% हुआ क्योंकि 60% लोग आपकी वेबसाइट का एक पेज पढ़ने के बाद चले जाते हैं। 
 
 
अब तक शायद आप bounce rate को अच्छी तरह से समझ गए होंगे। बॉउन्स रेट को हम कुछ इस तरह define कर सकते हैं-
 
 

वेबसाइट पर आने वाले लोगों का % जो एक पेज पढ़ने के बाद site से चले जाते हैं. 


जितना ज्यादा bounce rate होता है उतना ही site को खराब माना जाता है क्योंकि उतने ही ज्यादा लोग वेबसाईट को जल्दी से छोड़कर चले जाते हैं। 

2. बाउंस रेट से वेबसाइट पर क्या असर पड़ता है? (Effect Of Bounce Rate On Site):

बाउंस रेट ज्यादा होने का सीधा-सा मतलब है कि लोग आपकी website या blog पर ज्यादा देर टिक नहीं रहे हैं। वे जल्दी से आपके ब्लॉग को छोड़कर जा रहे हैं; उसपे ज्यादा pages को नहीं check कर रहे हैं या पढ़ रहे हैं। 
 
 
इससे Google और दूसरे सर्च इंजनों को लगता है कि आपकी site लोगों के लिए अच्छी नहीं है तभी तो ज्यादातर लोग आपकी website को एक ही page पढ़ने के बाद छोड़कर जा रहे हैं।
 
 

बाउन्स रेट ज्यादा होने से सर्च इंजनों में आपकी वेबसाइट की reputation कम हो जाती है और इससे आपकी रैंकिंग पर बुरा प्रभाव पड सकता है!


इसलिए अपनी वेबसाईट या ब्लॉग का बाउंस रेट जितना हो सके उतना कम रखने का प्रयास करें। मगर इसे कैसे कम करते हैं? चलिए जानते हैं-

 

3. साइट का बाउंस रेट कितना होना चाहिए? (Ideal Bounce Rate):

वैसे तो यह कोई fix नहीं है कि website का bounce rate कितना होना चाहिए क्योंकि अलग-अलग वेबसाइटों के हिसाब से अलग-अलग बाउन्स रेट प्रतिशत अच्छा माना जाता है।
 
अगर आपकी साइट एक ब्लॉग है तो इसके लिए 40 से 70% के बीच के bounce rate को अच्छा माना जा सकता है क्योंकि प्राय: लोग ब्लॉग पर ज्यादा देर रुकना पसंद नहीं करते। 
 


Business websites के लिए अच्छा बाउंस रेट 20 से 30% को माना जा सकता है। इसके अलावा दूसरे content वाली साइटों के लिए आदर्श बाउंस रेट 30 से 50% तक होता है। 



4. ब्लॉग/वेबसाइट का बाउंस रेट कम करने का तरीका (Tips for decreasing Bounce Rate):

 
एक ब्लॉगर के तौर पर, बाउंस रेट पर हमारा कोई direct control नहीं होता है क्योंकि लोग हमारे blog पर आकर कितनी पोस्टें पढ़ें, यह हम decide नहीं कर सकते हैं। लेकिन indirectly, बॉउन्स रेट हम पर यानि एक ब्लॉगर पर ही निर्भर करता है क्योंकि आखिर वेबसाइट पर लिखते तो हम ही हैं और एक ब्लॉगर के तौर पर हमें अपनी audience को अपने content के साथ engage करना तो आना ही चाहिए। 
 
 
 
ये कुछ तरीके हैं जिनकी मदद से आप अपनी वेबसाइट या ब्लॉग का bounce rate काफी हद तक कम कर सकते हैं-
 
 
1. सबसे पहली चीज जो आप अपने ब्लॉग का bounce rate कम करने के लिए कर सकते हैं वो है- अपने कंटेन्ट को शानदार बनाना । अगर आपका content शानदार  होगा तो लोग उसके साथ जुड़े रहेंगे और इस तरह से आपके बाउंस रेट में significant कमी आएगी । 
 
 
2. दूसरी चीज जो आप कर सकते हैं वो है- “Internal Linking”. इन्टर्नल लिंकिंग यानि अपने ब्लॉग की अन्य पोस्टों का link अपनी ही किसी पोस्ट में देना । इससे लोग आसानी से आपकी दूसरी पोस्टें पढ़ सकते हैं और आपका bounce rate कम हो सकता है । 



this photo shown how you can internally link your pages in a hindi blog
 
3. बाउंस रेट कम करने के लिए सबसे जरूरी चीज जो आपको करनी है वो है- अपने content को interesting बनाना। ध्यान रहे, कंटेन्ट को अच्छा बनाना और उसे रुचिकर बनाना दोनों अलग-अलग चीजें हैं। जरूरी नहीं कि जो content अच्छा और informative हो वह interesting भी हो। अब आप wikipedia को ही ले लीजिए, उसका content शानदार और in depth तो है ही, मगर ज्यादातर लोगों को वह interesting नहीं लगता! मगर विकिपिडिया तो विकिपीडिया है।
 
 

अपने कंटेन्ट को interesting बनाने के लिए आप उसमें interesting facts, storytelling जैसी चीजों का use कर सकते हैं। 

 
 
4. इसके अलावा आप अपनी साइट की loading speed अच्छी करके भी अपने bounce rate में significant change कर सकते हैं। (check your website speed here)
 

5. गलत keywords पर अपनी साइट को rank कराना, clickbait करना यानि गलत तरीके से लोगों को अपनी साइट पर लाना और website का खराब design कुछ अन्य कारण हैं जिनके कारण किसी साइट का बाउन्स रेट बढ़ जाता है। इन चीजों को control करके आप अपनी साइट का बाउन्स रेट कम कर सकते हैं।  




ℹ️  AUTHORS’ ANGLE: 


दोस्तों एक website के लिए bounce rate बहुत ज्यादा मायने रखता है। गूगल के रैंकिंग फ़ैक्टरों में भी बाउंस रेट को बहुत अहमियत दी जाती है क्योंकि यह सीधे आपके कंटेन्ट की quality के बारे में खबर देता है। इसलिए जितना हो सके आपको अपनी साइट या ब्लॉग का बाउन्स रेट कम रखने का प्रयास करना चाहिए। 


दोस्तों उम्मीद है कि आपको ब्लॉग के बाउंस रेट के बारे में/Information  about bounce rate Hindi me पर यह पोस्ट जरूर पसंद आई होगी। बाउंस रेट के बारे में अगर आपका कोई सवाल हो तो हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर पूछे। इसके अलावा हमसे Facebook पर भी जरूर जुड़ें। 


Navin Rangar

Sometimes I code; sometimes i write about it. Mail your concerns, suggestions at navin@sochokuchnaya.com.

12 thoughts on “बाउंस रेट क्या है? इसे कैसे कम करें? | Bounce Rate in Hindi

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